बेखुदी ले गयी कहाँबेखुदी ले गयी कहाँ..बेखुदी ले गयी कहाँ हम कोदेर से इंतज़ार है अपनारोते फिरते हैं सारी-सारी रातअब यही रोज़गार है अपनादे के दिल हम जो हो गए मजबूरइस में क्या इख्तियार है अपनाकुछ नही हम मिसाले-अनका लेकशहर-शहर इश्तिहार है अपनाजिस को तुम आसमान कहते होसो दिलों का गुबार है अपना
बेखुदी ले गई कहाँ हमकोबेखुदी ले गई कहाँ हमकोदेर से इंतज़ार है अपनारोते फिरते हैं सारी-सारी रातअब यही बस रोज़गार है अपना