तू भी तो एक लफ़्ज़ है इक दिन मिरे बयाँ में आमेरे यक़ीं में गश्त कर मेरी हद-ए-गुमाँ में आनींदों में दौड़ता हुआ तेरी तरफ़ निकल गयातू भी तो एक दिन कभी मेरे हिसार-ए-जाँ में आइक शब हमारे साथ भी ख़ंजर की नोक पर कभीलर्ज़ीदा चश्म-ए-नम में चल जलते हुए मकाँ में आनर्ग़े में दोस्तों के तू कब तक रहेगा सुर्ख़-रूनेज़ा-ब-नेज़ा दू-ब-दू-सफ़्हा-ए-दुश्मनान में आइक रोज़ फ़िक्र-ए-आब-ओ-नाँ तुझ को भी हो जान-ए-जहाँक़ौस-ए-अबद को तोड़ कर इस अर्सा-ए-ज़ियाँ में आ
This is a great मेरे अपने शायरी. If you like मेरे अश्क शायरी then you will love this. Many people like it for मेरे अहसास शायरी.