तुझे उदास किया..तुझे उदास किया खुद भी सोगवार हुएहम आप अपनी मोहब्बत से शर्मसार हुएबला की रौ थी नदीमाने-आबला-पा कोपलट के देखना चाहा कि खुद गुबार हुएगिला उसी का किया जिससे तुझपे हर्फ़ आयावरना यूँ तो सितम हम पे बेशुमार हुएये इन्तकाम भी लेना था ज़िन्दगी को अभीजो लोग दुश्मने-जाँ थे, वो गम-गुसार हुएहजार बार किया तर्के-दोस्ती का ख्यालमगर फ़राज़ पशेमाँ हर एक बार हुए
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