तुझे उदास कियातुझे उदास किया..तुझे उदास किया खुद भी सोगवार हुएहम आप अपनी मोहब्बत से शर्मसार हुएबला की रौ थी नदीमाने-आबला-पा कोपलट के देखना चाहा कि खुद गुबार हुएगिला उसी का किया जिससे तुझपे हर्फ़ आयावरना यूँ तो सितम हम पे बेशुमार हुएये इन्तकाम भी लेना था ज़िन्दगी को अभीजो लोग दुश्मने-जाँ थे, वो गम-गुसार हुएहजार बार किया तर्के-दोस्ती का ख्यालमगर फ़राज़ पशेमाँ हर एक बार हुए
उदास रातों में तेज़ काफ़ी की तल्ख़ियों मेंउदास रातों में तेज़ काफ़ी की तल्ख़ियों मेंवो कुछ ज़ियादा ही याद आता है सर्दियों में;मुझे इजाज़त नहीं है उस को पुकारने कीजो गूँजता है लहू में सीने की धड़कनों मेंवो बचपना जो उदास राहों में खो गया थामैं ढूँढता हूँ उसे तुम्हारी शरारतों मेंउसे दिलासे तो दे रहा हूँ मगर से सच हैकहीं कोई ख़ौफ़ बढ़ रहा है तसल्लियों में;तुम अपनी पोरों से जाने क्या लिख गए थे जानाँचराग़ रौशन हैं अब भी मेरी हथेलियों मेंहर एक मौसम में रौशनी सी बिखेरते हैंतुम्हारे ग़म के चराग़ मेरी उदासियों में
ना जाने यह नज़रें क्यों उदास रहती हैंना जाने यह नज़रें क्यों उदास रहती हैंना जाने इन्हे किसकी तलाश रहती हैजानती हैं यह कि वो किस्मत में नहींलेकिन फिर भी ना जाने क्यों उन्हें पाने की आस रखती हैं
उदास हूँ पर तुझसे नाराज़ नहींउदास हूँ पर तुझसे नाराज़ नहींतेरे दिल में हूँ पर तेरे पास नहींझूठ कहूँ तो सब कुछ है मेरे पासऔर सच कहूँ तो तेरे सिवा कुछ नहीं