हर एक चश्म में जैसे कि एक जहां गुम हैहर एक दिल में लगे एक दास्तां गुम हैकहीं तलाश फ़लक की दिखे है सतह-ज़मींकहीं लगे कि ज़मीं से एक आस्मां गुम हैकहीं मलाल चमन को कि उड़ गए पंछीकहीं गुलों को शिकायत कि बाग़बां गुम हैंरखेगी याद ये दुनिया यहाँ बस इतना हीवहाँ वो कितना मुक़म्मल है, जो जहाँ गुम हैबढ़ा हुआ सा लगे दायरा ये खोने कायह न पूछ किसी से कि वो कहाँ गुम है