वो याद आए भुलाते-भुलातेवो याद आए भुलाते-भुलातेदिल के ज़ख्म उभर आए छुपाते-छुपातेसिखाया था जिसने गम में मुस्कुरानाउसी ने रुला दिया हँसाते-हँसाते
हम तो अपने दिल से किसी की याद मिटाते नहींहम तो अपने दिल से किसी की याद मिटाते नहींइतनी बेरुखी से किसी को भुलाते नहींपर अपनी तक़दीर ही ऐसी हैहम लाख चाहकर भी किसी को याद आते नहीं
साँस लेने से उसकी याद आती हैसाँस लेने से उसकी याद आती हैऔर ना लेने पे जान जाती हैकैसे कह दूँ की सिर्फ़ साँसों क सहारे जिंदा हूँकमब्खत साँस भी तो उसकी याद के बाद आती है
अजीब लगती है शाम कभी-कभीअजीब लगती है शाम कभी-कभीज़िंदगी लगती है बेजान कभी-कभीसमझ आये तो हमें भी बतानाकि क्यों करती हैं यादें परेशान कभी-कभी
यादों की भीड़ में आप की परछाई सी लगती हैयादों की भीड़ में आप की परछाई सी लगती हैकानों में कोई आवाज़ एक शहनाई सी लगती हैजब आप करीब हैं तो अपना सा लगता हैवर्ना सीने में सांस भी पराई सी लगती है
कौन कहता है हम आपको याद नहीं करतेकौन कहता है हम आपको याद नहीं करतेकरते तो हैं मगर इज़हार नहीं करतेसोचते हैं कहीं यादें बिखर न जायेंइसलिए हर बार दीदार नहीं करते