आँख से आँख

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आँख से आँख..
आँख से आँख मिलाता है कोई
दिल को खींचे लिए जाता है कोई
वा-ए-हैरत के भरी महफ़िल में
मुझ को तन्हा नज़र आता है कोई
चाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौंसला किस का बढ़ाता है कोई
सब करिश्मात-ए-तसव्वुर है 'शकील'
वरना आता है न जाता है कोई

This is a great नज़र अंदाज़ शायरी. If you like तन्हा पर शायरी then you will love this. Many people like it for तिरछी नज़र शायरी.

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