जिनको हमने चाहा इश्क़ की हदें तोड़ करजिनको हमने चाहा इश्क़ की हदें तोड़ करआज उसने देखा नहीं निगाह मोड़ करये जान कर बहुत दुख हुआ मुझेकि वो खुद भी तन्हा हो गये मुझे छोड़ कर
तन्हा तन्हा हमतन्हा तन्हा हम..तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगेजब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगेतुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैंदेर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगेबच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दोचार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगेकिन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ हैहम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगेअच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुमकिन हैहम तो उस दिन रो देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे
तन्हा तन्हा हमतन्हा तन्हा हम..तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगेजब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगेतुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैंदेर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगेबच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दोचार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगेकिन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ हैहम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगेअच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुम्किन हैहम तो उस दिन राए देंगे जिस दिन धोका खायेंगे
आँख से आँखआँख से आँख..आँख से आँख मिलाता है कोईदिल को खींचे लिए जाता है कोईवा-ए-हैरत के भरी महफ़िल मेंमुझ को तन्हा नज़र आता है कोईचाहिए ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिलहौंसला किस का बढ़ाता है कोईसब करिश्मात-ए-तसव्वुर है 'शकील'वरना आता है न जाता है कोई
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझतीपत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझतीदिल में क्या है वो बात नही समझतीतन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में हैपर चाँद का दर्द वो रात नही समझती