तेरे इश्क़ की इन्तहा..तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँमेरी सादगी देख क्या चाहता हूँसितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबीकोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों कोकि मैं आप का सामना चाहता हूँकोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िलचिराग़-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँभरी बज़्म में राज़ की बात कह दीबड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ
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