यूँ ही मुड़कर ना देखा होगा उन्होंनेयूँ ही मुड़कर ना देखा होगा उन्होंनेअभी कुछ चाहत तो बाकी होगीभले ही जी रहे होंगे कितने सुकून से वोतड़पने के लिए हमारी बस एक याद ही काफी होगी
जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता हैजाने क्या मुझसे ज़माना चाहता हैमेरा दिल तोड़कर मुझे ही हँसाना चाहता हैजाने क्या बात झलकती है मेरे चेहरे सेहर शख्स बस मुझे ही आज़माना चाहता है
ज़िन्दगी से यहीज़िन्दगी से यही...ज़िन्दगी से यही ग़िला है मुझे;तू बहुत देर से मिला है मुझे;हमसफ़र चाहिए हुजूम नहीं;मुसाफ़िर ही काफ़िला है मुझे;दिल धड़कता नहीं सुलगता है;.वो जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे;.लबकुशा हूँ तो इस यक़ीन के साथ;.क़त्ल होने का हौसला है मुझे;.कौन जाने कि चाहतों में 'फ़राज़';.क्या गँवाया है क्या मिला है मुझे
तेरे इश्क़ की इंतिहातेरे इश्क़ की इंतिहा..तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँमेरी सादगी देख क्या चाहता हूँसितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबीकोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों कोकि मैं आप का सामना चाहता हूँकोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िलचिराग़-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँभरी बज़्म में राज़ की बात कह दीबड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ
तेरे इश्क़ की इन्तहातेरे इश्क़ की इन्तहा..तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँमेरी सादगी देख क्या चाहता हूँसितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबीकोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों कोकि मैं आप का सामना चाहता हूँकोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल-ए-महफ़िलचिराग़-ए-सहर हूँ, बुझा चाहता हूँभरी बज़्म में राज़ की बात कह दीबड़ा बे-अदब हूँ, सज़ा चाहता हूँ