ये ठीक है कि

SHARE

ये ठीक है कि..
ये ठीक है कि तेरी गली में न आयें हम
लेकिन ये क्या कि शहर तेरा छोड़ जाएँ हम
मुद्दत हुई है कूए बुताँ की तरफ़ गए
आवारगी से दिल को कहाँ तक बचाएँ हम
शायद बकैदे-जीस्त ये साअत न आ सके
तुम दास्ताने-शौक़ सुनो और सुनाएँ हम
उसके बगैर आज बहुत जी उदास है
'जालिब' चलो कहीं से उसे ढूँढ लायें हम

This is a great बहुत अच्छी शायरी. If you like तेरी आँखे शायरी then you will love this. Many people like it for तेरा इंतज़ार शायरी.

SHARE