ये ठीक है किये ठीक है कि..ये ठीक है कि तेरी गली में न आयें हमलेकिन ये क्या कि शहर तेरा छोड़ जाएँ हममुद्दत हुई है कूए बुताँ की तरफ़ गएआवारगी से दिल को कहाँ तक बचाएँ हमशायद बकैदे-जीस्त ये साअत न आ सकेतुम दास्ताने-शौक़ सुनो और सुनाएँ हमउसके बगैर आज बहुत जी उदास है'जालिब' चलो कहीं से उसे ढूँढ लायें हम
दिल को क्या हो गयादिल को क्या हो गया..दिल को क्या हो गया ख़ुदा जानेक्यों है ऐसा उदास क्या जानेकह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपनाइस को तुम जानो या ख़ुदा जानेजानते जानते ही जानेगामुझ में क्या है वो अभी क्या जानेतुम न पाओगे सादा दिल मुझसाजो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने
किसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझेकिसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझेगुज़र गयी जरस-ए-गुल उदास करके मुझेमैं सो रहा था किसी याद के शबिस्ताँ मेंजगा के छोड़ गए काफिले सहर के मुझेशब्दार्थजरस-ए-गुल = फूलों की लड़शबिस्ताँ = बिस्त
कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे मेंकितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे मेंमेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो
मुझे ये डर है तेरी आरज़ू ना मिट जाएमुझे ये डर है तेरी आरज़ू ना मिट जाएबहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं