पत्थर के जिगर वालोंपत्थर के जिगर वालों...पत्थर के जिगर वालों गम में वो रवानी हैखुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी हैफूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी हैउस में तेरी जुल्फों की बेतरतीब कहानी हैइक जहने परेशां में वो फूल सा चेहरा हैपत्थर की हिफाज़त में शीशे की जवानी हैक्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते होसोये हुए पानी में क्या आग लगानी हैइस हौसले दिल पर हम ने भी कफ़न पहनाहँस कर कोई पूछेगा क्या जान गंवानी हैरोने का असर दिल पर रह रह के बदलता हैआँसूं कभी शीशा है आँसूं कभी पानी है..
न सियो होंठन सियो होंठ..न सियो होंठ, न ख़्वाबों में सदा दो हम कोमस्लेहत का ये तकाज़ा है, भुला दो हम कोहम हक़ीक़त हैं, तो तसलीम न करने का सबबहां अगर हर्फ़-ए-ग़लत हैं, तो मिटा दो हम कोशोरिश-ए-इश्क़ में है, हुस्न बराबर का शरीकसोच कर ज़ुर्म-ए-मोहब्बत की, सज़ा दो हम कोमक़सद-जीस्त ग़म-ए-इश्क़ है, सहरा हो कि शहरबैठ जाएंगे जहां चाहे, बिठा दो हम को
होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल काहोंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल काशायद नज़रों से वो बात हो जाएइस उम्मीद से करते हैं इंतज़ार रात काकि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाए
ज़िन्दगी लम्बी है दोस्त बनाते रहोज़िन्दगी लम्बी है दोस्त बनाते रहोदिल मिले नी मिले हाथ मिलाते रहोताज महल बनाना तो बहुत महंगा पडेगा;इसीलिए हर गली में मुमताज़ बनाते रहो
उम्र की राह में जज्बात बदल जाते हैउम्र की राह में जज्बात बदल जाते हैवक़्त की आंधी में हालात बदल जाते हैसोचता हूँ कि काम कर-कर के रिकॉर्ड तोड़ दूँपर ऑफिस आते आते ख़यालात बदल जाते है