यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहायह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहाकि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल से
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतश ग़ालिबइश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतश ग़ालिबकि लगाए न लगे और बुझाए न बने
ये न जाने थे कि उस महफ़िल में दिल रह जाएगाये न जाने थे कि उस महफ़िल में दिल रह जाएगाहम ये समझे थे चले आएँगे दम भर देख कर
बैठे हैं दिल में ये अरमां जगायेबैठे हैं दिल में ये अरमां जगायेकि वो आज नजरों से हमें अपनी पिलायेंमजा तो तब ही पीने का यारोइधर हम पियें और नशा उनको हो जाये
सब पूछते हैं मुझ से क्यों रातों को मैं जागता हूँ और दिन में खोया हुआ सा रहता हूँसब पूछते हैं मुझ से क्यों रातों को मैं जागता हूँ और दिन में खोया हुआ सा रहता हूँचुप रहूँ या कह दूँ अब सब से कि इस बेचैन दिल की वजह तुम हो
ज़िन्दगी के किस मोड़ पर ले आई है यह जवानी भीज़िन्दगी के किस मोड़ पर ले आई है यह जवानी भीजलना होगा या डूबना होगा "अक्स" इश्क़ आग भी है और पानी भी