तस्वीर का रुखतस्वीर का रुतस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी हैखैरात जो देता है वही लूटता भी हैईमान को अब लेके किधर जाइयेगा आपबेकार है ये चीज कोई पूछता भी हैबाज़ार चले आये वफ़ा भी, ख़ुलूस भीअब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी हैवैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैंपर इनमें कोई तीर है जो फूल सा भी हैइस दिल ने भी फ़ितरत किसी बच्चे सी पाई हैपहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है
गुलशन है अगरगुलशन है अगगुलशन है अगर सफ़र जिंदगी कातो इसकी मंजिल समशान क्यों हैजब जुदाई है प्यार का मतलबतो फिर प्यार वाला हैरान क्यों हैअगर जीना ही है मरने के लिएतो जिंदगी ये वरदान क्यों हैजो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिलआखिर ये दिल इतना नादान क्यों है।
बेनाम सा यह दर्दबेनाम सा यह दर्बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जातासब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहेंक्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूं नही जातावो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैंजो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जातामैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशाजाते है जिधर सब मैं उधर क्यूं नही जातावो नाम जो बरसों से न चेहरा है न बदन हैवो ख्वाब अगर है तो बिखर क्यूं नही जाताजो बीत गया है वो गुज़र क्यूं नही जाताबेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता
तप कर गमों की आग मेंतप कर गमों की आग मेतप कर गमों की आग में कुंदन बने हैं हमखुशबू उड़ा रहा दिल चंदन से सने हैं हमरब का पयाम ले कर अंबर पे छा गएबिखरा रहे खुशी जग बादल घने हैं हमसच की पकड़ के बाँह ही चलते रहे सदाकितने बने रकीब हैं फ़िर भी तने हैं हमछुप कर करो न घात रे बाली नहीं हूँ मैंहमला करो कि अस्त्र बिना सामने हैं हमखोये किसी की याद में मदहोश है कियाछेड़ो न साज़ दिल के हुए अनमने हैं हम
दर्द अपना होदर्द अपना हदर्द अपना हो या परायासबमें बसा है तेरा सायाखुशियों का घर कहीं न देखामंदिर-मस्जिद तक हो आयाजबसे रूह की आहट पाईहर कोई लगने लगा परायाअब तक थे हम ठहरे पानीतुमने हमको दरिया बनाया
मानों घर भर भूल बैठामानों घर भर भूल बैठा..मानों घर भर भूल बैठा था ठहाकों का हुनरखिलखिलाने की वजह बच्चे की किलकारी बनीआप जैसी ही तरक्की मैं भी कर लेता, मगरमेरे रस्ते की रूकावट मेरी खुद्दारी बनीवो नज़र अंदाज़ कर देती है औलादों का जुर्मबाँध कर पट्टी निगाहों पर जो गांधारी बनी