मंज़िल मिल ही जाएगी एक दिन भटकते भटकते ही सही; गुमराह तो वो हैं जो डर के घर से निकलते ही नहीं; खुशियां मिल जायेंगी एक दिन रोते रोते ही सही; कमज़ोर दिल तो वो हैं जो हँसने की कभी सोचते ही नहीं।
शाम सूरज को ढलना सिखाती है; शमा परवाने को जलना सिखाती है; गिरने वालो को तकलीफ़ तो होती है; पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है।
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है; ज़िंदगी में हर मोड़ पर एक इम्तिहान होता है; डरने वालों को मिलता नहीं ज़िंदगी में कुछ भी; लड़ने वालों के क़दमों में सारा जहान होता है।
जो देख कर मुश्किलों को सामने घबराते नहीं; रखते हैं भरोसा खुद पर हर काम के लिए रब के पास जाते नहीं; होते हैं वही कामयाब ज़िंदगी के इस इम्तिहान में; जो करते हैं हर मुश्किल का सामना और थक कर बैठ जाते नहीं।
कोशिशों के बाद भी अगर कभी हो जाये हार; होकर निराश ना बैठना मन को अपने मार; बढ़ते रहना आगे सदा जैसा भी आ जाये समय; क्योंकि पा लेती हैं मंज़िल चींटी भी गिर कर बार-बार।
ताश के पत्तों से कभी महल नहीं बनता; नदी को रोक लेने से कभी समंदर नहीं बनता; बढ़ते रहो ज़िंदगी में हर पल किसी नयी दिशा की ओर; क्योंकि सिर्फ एक जंग जीतने से कोई सिकंदर नहीं बनता।
ना कर आसमान की हसरत, ज़मीन की तलाश कर; सब है यहीं कहीं और ना तू कुछ तलाश कर; पूरी हो हर आरज़ू तो क्या मज़ा है जीने का; अगर जीना है तो किसी हसीन वजह की तलाश कर।
बुझने लगी हों आँखें तेरी, चाहे थमने लगे रफ़्तार; उखड़ने लगी हों साँसे तेरी, दिल करता हो चित्कार; दोष विधाता को ना देना, बस मन में रखना तुम अपने आस; विजयी बनता है वही, जिसके पास हो आत्मविश्वास।
हर कामयाबी पे तुम्हारा नाम होगा; तुम्हारे हर कदम पे दुनिया का सलाम होगा; डट कर करना सामना तुम मुश्किलों का; एक दिन वक़्त भी तुम्हारा गुलाम होगा।
हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिए; ज़िंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिए; एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे; धीरे-धीरे ही सही राह पर सदा चलते रहिए।
हौंसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे; तुझे तेरा मुक़ाम मिल जायेगा; बढ़ कर आगे अकेला तू पहल कर; देख कर तुझको काफिला खुद बन जायेगा।
दर्द में भी जो हँसना चाहो, तो हँस पाओगे; टूटे फूलों को भी पानी में डालो, तो उनमें भी महक पाओगे; ज़िंदगी किसी ठहराव में, कहीं रुकती नहीं; हिम्मत जो करोगे तो मंज़िल खुद-ब-खुद पा जाओगे।