बुझने लगी हों आँखें तेरी SHARE FacebookTwitter बुझने लगी हों आँखें तेरी, चाहे थमने लगे रफ़्तार; उखड़ने लगी हों साँसे तेरी, दिल करता हो चित्कार; दोष विधाता को ना देना, बस मन में रखना तुम अपने आस; विजयी बनता है वही, जिसके पास हो आत्मविश्वास।More SHARE FacebookTwitter
हर एक महान सपने की शुरुआत एक स्वप्नद्रष्टा से होती है। हमेशा याद रखिये, आपके अन्दर व.......Read Full Message