जिन्दगी एक गिफ्ट है,कबूल कीजिए. जिन्दगी एक एहसास है,महसूस कीजिए. जिन्दगी एक दर्द है,बाँट लीजिये. जिन्दगी एक प्यास है,प्यार दीजिये. जिन्दगी एक मिलन है,मुस्करा लीजिये. जिन्दगी एक जुदाई है,सबर कीजिये. जिन्दगी एक आसू है,पी लीजिये. जिन्दगी आखिर जिन्दगी है…जी लीजिये.
दिन की रोशनी ख्वाबो को बनाने में गुजर गई रात की नींद बच्चों को सुलाने में गुजर गई जिस घर में मेरे नाम की तखती भी नहीं सारी उमर उस घर को सजाने में गुजर गई! !
जिंदगी गुजर गई सबको खुश करने मे जो खुश हुये वो अपने नही थे । जो अपने थे .... .............वो खुश नही हुए ।।
जन्म अपने हाथ में नहीं ; मरना अपने हाथ में नहीं ; पर जीवन को अपने तरीके से जीना अपने हाथ में होता है ; मस्ती करो मुस्कुराते रहो ; सबके दिलों में जगह बनाते रहो। जिन्दगी ” में दो बाते हमेशा याद रखना.. जब गुस्सा आये तब कोई ” फैसला ” मत करना.. और जब बहुत खुश हो तब कोई “वादा “मत करना..
। खुश हूं । "जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं "काम में खुश हूं," आराम में खुश हू "आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं "आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं "दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं "आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं "जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं "जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं "बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं "आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं "हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं "जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं "अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना" "वरना बिना जवाब के भी खुश हूं.
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो किसी के वासते राहें कहाँ बदलती हैं तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो यही है जिंदगी, कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
रोजाना पढ़ो और चिंतन करो--- पहला - मरना अवश्य है । दूसरा - साथ कुछ नहीं जाना है । तीसरा - जो करेगा वो भरेगा । चौथा -जहाँ उलझो वहीं सुलझो । पाँचवा -जो है उसमें संतोष करो । ईश्वर मेरे बिना भी ईश्वर ही है... मगर मैं ईश्वर के बिना कुछ भी नहीं..
बहुत सुन्दर सन्देश किसी ने मटके से पूछा तुम इतने ठन्डे क्यों रहते हो ? मटके ने मुस्कुरा कर जवाब दिया : जिसका भूत -भविष्य और वर्तमान सब मिट्टी से बना हो , उसे घमंड और गर्मी किस बात की ?
चरस मेरी ज़िन्दगी और सिगरेट मेरा कफ़न, जिस मिट्टी से बनी चिलम उसी मिट्टी में दफ़न, सुट्टे उड़ा ले, ज़िन्दगी के मज़े उड़ा ले, मर गया तो कब्र के हवाले, फिर कौन बोलेगा उठ यार एक कश और लगाले...