महलों में जाइए, अब छप्परों में कबीर नहीं मिलते.. क़ातिलों में मिलेगा, अब इन्सानों में ज़मीर नहीं मिलते.. बाज़ारो में जाइए और, दीवान ख़रीद कर पढ़िए.. शायरों में अब ग़ालिब, और मीर नहीं मिलते.. इश्क़ में अब किसी के भी, जान देने का रिवाज़ नहीं रहा.. दुनिया-ए-इश्क़ में अब कोई लैला नहीं मिलती, मजनू नहीं मिलते... जिनकी आँखों में आँसू नहीं, उन्हें ख़ुश ना समझिए.. सबसे ज़्यादा रोते वही है, आँखों में जिसकी नीर नहीं मिलते.!!
* कड़वा सत्य * जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं पर इतना मालूम है , छोटा आदमी बडे मौके पर काम आ जाता है। और बड़ा आदमी छोटी सी बात पर औकात दिखा जाता है !
सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूमके कर ले, लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कंही नहीं हे ।
लोग क्या सोचेंगे ? ? ? 25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि "लोग क्या सोचेंगे ? ? " 50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं कि " लोग क्या सोचेंगे ! ! " 50 साल के बाद पता चलता है कि " हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था ! ! ! "
ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तक़दीर भी, फर्क तो सिर्फ रंगों का है। मनचाहे रंगों से बने तो तस्वीर और अनजाने रंगों से बने तो तक़दीर।
दर्द कैसा भी हो कभी आँख नम ना करो; रात काली सही लेकिन ग़म ना करो; एक सितारा बन जगमगाते रहो; ज़िन्दगी में यूँ ही सदा मुस्कुराते रहो।
छोटी सी है जिंदगी हँस के जियो; भुला के सारे गम दिल से जियो; उदासी में क्या रखा है मुस्कुरा के जियो; अपने लिए न सही अपनों के लिए जियो।
कोई खुशियों की चाह में रोया; कोई दुखों की पनाह में रोया; अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का; कोई भरोसे के लिए रोया, कोई भरोसा करके रोया।