महलों में जाइए,
अब छप्परों में कबीर नहीं मिलते..
क़ातिलों में मिलेगा,
अब इन्सानों में ज़मीर नहीं मिलते..
बाज़ारो में जाइए और,
दीवान ख़रीद कर पढ़िए..
शायरों में अब ग़ालिब,
और मीर नहीं मिलते..
इश्क़ में अब किसी के भी,
जान देने का रिवाज़ नहीं रहा..
दुनिया-ए-इश्क़ में अब कोई
लैला नहीं मिलती, मजनू नहीं मिलते...
जिनकी आँखों में आँसू नहीं,
उन्हें ख़ुश ना समझिए..
सबसे ज़्यादा रोते वही है,
आँखों में जिसकी नीर नहीं मिलते.!!