आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्याक्या बताऊँ कि मिरे दिल में हैं अरमाँ क्या क्याग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखीदेखें दिखलाए अभी गर्दिश-ए-दौराँ क्या क्या
This is a great क्या कहु शायरी. If you like आरज़ू पर शायरी then you will love this. Many people like it for वस्ल पर शायरी. Share it to spread the love.