इश्क़ की दुनिया में इक हंगामा बरपा कर दियाऐ ख़याल-ए-दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दियाज़र्रे ज़र्रे ने मेरा अफ़्साना सुन कर दाद दीमैंने वहशत में जहाँ को तेरा शैदा कर दियातूर पर राह-ए-वफ़ा में बो दिए काँटे कलीमइश्क़ की वुसअत को मस्दूद-ए-तक़ाज़ा कर दियाबिस्तर-ए-मशरिक़ से सूरज ने उठाया अपना सरकिस ने ये महफ़िल में ज़िक्र-ए-हुस्न-ए-यक्ता कर दियामुद्दा-ए-दिल कहूँ 'एहसान' किस उम्मीद परवो जो चाहेंगे करेंगे और जो चाहा कर दिया
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