तेरे मिलने को..तेरे मिलने को बेकल हो गये हैंमगर ये लोग पागल हो गये हैंबहारें लेके आये थे जहाँ तुमवो घर सुनसान जंगल हो गये हैंयहाँ तक बढ़ गये आलाम-ए-हस्तीकि दिल के हौसले शल हो गये हैंकहाँ तक ताब लाये नातवाँ दिलकि सदमे अब मुसलसल हो गये हैंनिगाह-ए-यास को नींद आ रही हैमुसर्दा पुरअश्क बोझल हो गये हैंउन्हें सदियों न भूलेगा ज़मानायहाँ जो हादसे कल हो गये हैंजिन्हें हम देख कर जीते थे 'नासिर'वो लोग आँखों से ओझल हो गये है
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