राहे-दूरे-इश्क़ से​

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राहे-दूरे-इश्क़ से​..



राहे-दूरे-इश्क़ से रोता है क्या​;​

आगे-आगे देखिए होता है क्या​​
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सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं​;
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तुख़्मे-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या​​
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क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है​;​

यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या​​
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ग़ैरते-युसुफ़ है ये वक़्ते-अज़ीज़​;
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मीर इसको रायगाँ खोता है क्या​

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