ज़रा से झौंके को..ज़रा से झौंके को तूफ़ान कहते होज़रा सा छप्पर है आसमान कहते होउठो पहचानों मृग-मरीचिका कोमुट्ठी भर रेत को रेगिस्तान कहते होअब बदलनी पड़ेगी परिभाषाएँसोचो तुम किसको इंसान कहते होनैनों का जल अभी सूखा नहींपहचानों जिन्हें महान कहते होसूचियां सब सार्वजानिक तो करोजानते हो जिनको भगवान कहते होजमानें को मालूम है बदमाशियांकैसे अपने को नादान कहते होकभी झांके हो अपने भीतरफिर क्यों औरों को शैतान कहते हो।
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