हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता हैहमारे शहर में पत्थर भी लाल होता हैमैं शोहरतों की बुलंदी पर जा नहीं सकताजहाँ उरूज पर पहुँचो ज़वाल होता हैमैं अपने बच्चों को कुछ भी तो दे नहीं पायाकभी-कभी मुझे ख़ुद भी मलाल होता हैयहीं से अमन की तबलीग रोज़ होती हैयहीं पे रोज़ कबूतर हलाल होता हैमैं अपने आप को सय्यद तो लिख नहीं सकताअजान देने से कोई बिलाल होता हैपड़ोसियों की दुकानें तक नहीं खुलतींकिसी का गाँव में जब इन्तिकाल होता है
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