रात के टुकड़ों पे..रात के टुकड़ों पे पलना छोड़ देशमा से कहना कि जलना छोड़ देमुश्किलें तो हर सफ़र का हुस्न हैंकैसे कोई राह चलना छोड़ देतुझसे उम्मीदे - वफ़ा बेकार हैकैसे इक मौसम बदलना छोड़ देमैं तो ये हिम्मत दिखा पाया नहींतू ही मेरे साथ चलना छोड़ देकुछ तो कर आदाबे - महफ़िल का लिहाज़यार ये पहलू बदलना छोड़ दे
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