कौन कहता है कि..कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगामैं तो दरिया हूं, समंदर में उतर जाऊँगातेरा दर छोड़ के मैं और किधर जाऊँगाघर में घिर जाऊँगा, सहरा में बिखर जाऊँगातेरे पहलू से जो उठूँगा तो मुश्किल ये हैसिर्फ़ इक शख्स को पाऊंगा, जिधर जाऊँगाअब तेरे शहर में आऊँगा मुसाफ़िर की तरहसाया-ए-अब्र की मानिंद गुज़र जाऊँगातेरा पैमान-ए-वफ़ा राह की दीवार बनावरना सोचा था कि जब चाहूँगा, मर जाऊँगाज़िन्दगी शमा की मानिंद जलाता हूं 'नदीम'बुझ तो जाऊँगा मगर, सुबह तो कर जाऊँगा
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