खुली आँखों में सपना

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खुली आँखों में सपना..
खुली आँखों में सपना जागता है
वो सोया है कि कुछ कुछ जागता है
तेरी चाहत के भीगे जंगलों में
मेरा तन मोर बन के नाचता है
मुझे हर कैफ़ियत में क्यों न समझे
वो मेरे सब हवाले जानता है
किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल
बहाने से मुझे भी टालता है
सड़क को छोड़ कर चलना पड़ेगा
कि मेरे घर का कच्चा रास्ता है

This is a great आँखों का काजल शायरी. If you like शायरी आँखों की then you will love this. Many people like it for खुली किताब शायरी.

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