रोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करोअपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करोआओ देखो मेरी नज़रों में उतर कर ख़ुद कोआइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो
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