रोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करोरोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करोअपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करोआओ देखो मेरी नज़रों में उतर कर ख़ुद कोआइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो
बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँबस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँधूप कितनी भी तेज़ हो समंदर नहीं सूखा करते
समंदर के सफर में इस तरह आवाज़ दे हमकोसमंदर के सफर में इस तरह आवाज़ दे हमकोहवाएं तेज़ हो जायें और कश्तियों में शाम हो जायेउजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने देना जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाये
समंदर के सफर में इस तरह आवाज़ दो हमकोसमंदर के सफर में इस तरह आवाज़ दो हमकोहवाएं तेज़ हो जायें और कश्तियों में शाम हो जायेउजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोना जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये