रोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करोरोज साहिल से समंदर का नज़ारा न करोअपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करोआओ देखो मेरी नज़रों में उतर कर ख़ुद कोआइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो
साहिल पे बैठे यूँ सोचते हैं आजसाहिल पे बैठे यूँ सोचते हैं आज, कौन ज्यादा मजबूर हैये किनारा जो चल नहीं सकता, या वो लहर जो ठहर नहीं सकती
ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैंना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैंऔर फिर समंदर में लौट जाती हैंसमझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैंया फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं
हर तमाशाई फक़त साहिल से मंज़र देखताहर तमाशाई फक़त साहिल से मंज़र देखताकौन दरिया को उलटता कौन गौहर देखताTranslationफक़त : सिर्गौहर : मोत
साहिल पर खड़े-खड़े हमने शाम कर दीसाहिल पर खड़े-खड़े हमने शाम कर दीअपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दीये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगीबिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी
ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देतीज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देतीभंवर घबरा के खुद मुझ को किनारे पर लगा देतावो ना आती मगर इतना तो कह देती मैं आँऊगीसितारे, चाँद सारा आसमान राह में बिछा देता