सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को..सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को सितारा याद रहता हैमैं चलता हूँ मुझे चेहरा तुम्हारा याद रहता हैतुम्हारा ज़र्फ़ है तुम को मोहब्बत भूल जाती हैहमें तो जिस ने हँस कर भी पुकारा याद रहता हैमोहब्बत में जो डूबा हो उसे साहिल से क्या लेनाकिसे इस बहर में जा कर किनारा याद रहता हैबहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों नेयही बस एक दरिया का नज़ारा याद रहता हैमैं किस तेज़ी से ज़िंदा हूँ मैं ये तो भूल जाता हूँनहीं आना है दुनिया में दोबारा याद रहता है
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