वो कभी मिल जाएँ तो..वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिएरात दिन सूरत को देखा कीजिएचाँदनी रातों में एक एक फूल कोबे-ख़ुदी कहती है सजदा कीजिएजो तमन्ना बर न आए उम्र भरउम्र भर उस की तमन्ना कीजिएइश्क़ की रंगीनियों में डूब करचाँदनी रातों में रोया कीजिएहम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थेक्यों किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिएकहते हैं 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेरइस तरह हम को न रुसवा कीजिए
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