अभी आँखें खुली हैं

SHARE

अभी आँखें खुली हैं..
अभी आँखें खुली हैं और क्या क्या देखने को
मुझे पागल किया उस ने तमाशा देखने को
वो सूरत देख ली हम ने तो फिर कुछ भी न देखा
अभी वर्ना पड़ी थी एक दुनिया देखने को
तमन्ना की किसे परवाह कि सोने जागने मे
मुयस्सर हैं बहुत ख़्वाब-ए-तमन्ना देखने को
ब-ज़ाहिर मुतमइन मैं भी रहा इस अंजुमन में
सभी मौजूद थे और वो भी ख़ुश था देखने को
अब उस को देख कर दिल हो गया है और बोझल
तरसता था यही देखो तो कितना देखने को
छुपाया हाथ से चेहरा भी उस ना-मेहरबाँ ने
हम आए थे 'ज़फ़र' जिस का सरापा देखने को

This is a great आँखें शायरी २ लाइन. If you like आँखें शेर शायरी then you will love this. Many people like it for आँखें शेरो शायरी.

SHARE