दोनों जहाँ देके वो..दोनों जहाँ देके वो समझे ये ख़ुश रहायां आ पड़ी ये शर्म की तकरार क्या करेंथक-थक के हर मक़ाम पे दो चार रह गयेतेरा पता न पायें तो नाचार क्या करेंक्या शमा के नहीं है हवाख़्वाह अहल-ए-बज़्महो ग़म ही जांगुदाज़ तो ग़मख़्वार क्या करेंTranslationनाचार=जिनका बस ना चलेहवाख़्वाह=शुभचिंतकअहल-ए-बज़्म=महफिल वालेजांगुदा=जान घुलाने वाला
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