उसकी कत्थई आँखों में..उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सबचाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सबजिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैंचादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सबमुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी हैफीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सबआखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते हैकश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
This is a great आँखों का काजल शायरी. If you like आँखों के लिए शायरी then you will love this. Many people like it for तेरी आँखों शायरी.