तेरे ख़याल से..तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तन्हाईशब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जलवाआराईतू किस ख़याल में है ऐ मन्ज़िलों क्के शादाईउन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आईपुकार ऐ जरस-ए-कारवान-ए-सुबह-ए-तरबभटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाईरह-ए-हयात में कुछ मरकले देख लियेये और बात तेरी आरज़ू न रास आईये सानिहा भी मुहब्बत में बारहा गुज़राकि उस ने हाल भी पूछा तो आँख भर आईफिर उस की याद में दिल बेक़रार है 'नासिर'बिछड़ के जिस से हुई शहर शहर रुसवाई
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