अपने हाथों की..अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझकोमैं हूँ तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझकोमुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के मानेये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझकोख़ुद को मैं बाँट ना डालूँ कहीं दामन-दामनकर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको।बादाह फिर बादाह है मैं ज़हर भी पी जाऊँ 'क़तील'शर्त ये है कोई बाहों में सम्भाले मुझको
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