ख़ुद को औरों की तवज्जो का..ख़ुद को औरों की तवज्जो का तमाशा न करोआइना देख लो, अहबाब से पूछा न करोवह जिलाएंगे तुम्हें शर्त बस इतनी है कि तुमसिर्फ जीते रहो, जीने की तमन्ना न करोजाने कब कोई हवा आ के गिरा दे इन कोपंछियो ! टूटती शाख़ों पे बसेरा न करोआगही बंद नहीं चंद कुतुब-ख़ानों मेंराह चलते हुए लोगों से भी याराना करोचारागर छोड़ भी दो अपने मरज़ पर हम कोतुम को अच्छा जो न करना है, तो अच्छा न करोशेर अच्छे भी कहो, सच भी कहो, कम भी कहोदर्द की दौलते-नायाब को रुसवा न करो
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