आया हूँ संग ओ ख़िश्त के

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आया हूँ संग ओ ख़िश्त के..
आया हूँ संग ओ ख़िश्त के अम्बार देख कर
ख़ौफ़ आ रहा है साया-ए-दीवार देख कर
आँखें खुली रही हैं मेरी इंतज़ार में
आए न ख़्वाब दीद-ए-बे-दार देख कर
ग़म की दुकान खोल के बैठा हुआ था मैं
आँसू निकल पड़े हैं ख़रीददार देख कर
क्या इल्म था फिसलने लगेंगे मेरे क़दम
मैं तो चला था राह को हम-वार देख कर
हर कोई पार-साई की उम्दा मिसाल था
दिल ख़ुश हुआ है एक गुनह-गार देख कर

This is a great मेरे अपने शायरी. If you like मेरे अश्क शायरी then you will love this. Many people like it for मेरे अहसास शायरी.

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