तेरे पास आने को..तेरे पास आने को जी चाहता हैनए ज़ख़्म खाने को जी चाहता हैज़माना मेरा आज़माया हुआ हैतुझे आज़माने को जी चाहता हैवही बात रह-रह के याद आ रही हैजिसे भूल जाने को जी चाहता हैलबों पे मेरे खिलते है तब्बसुमजब आंसू बहाने को जी चाहता है।तक्कल्लुफ़ ना कर आज बर्क-ए-तस्सल्लीनशेमन जलाने को जी चाहता हैरुख-ए-जिंदगी से नक़ाबीन उलट करहकीकत दिखाने को जी चाहता है
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