तप कर गमों की आग में

SHARE

तप कर गमों की आग मे
तप कर गमों की आग में कुंदन बने हैं हम
खुशबू उड़ा रहा दिल चंदन से सने हैं हम
रब का पयाम ले कर अंबर पे छा गए
बिखरा रहे खुशी जग बादल घने हैं हम
सच की पकड़ के बाँह ही चलते रहे सदा
कितने बने रकीब हैं फ़िर भी तने हैं हम
छुप कर करो न घात रे बाली नहीं हूँ मैं
हमला करो कि अस्त्र बिना सामने हैं हम
खोये किसी की याद में मदहोश है किया
छेड़ो न साज़ दिल के हुए अनमने हैं हम

This is a great गमों की शायरी.

SHARE