तस्वीर का रुख

SHARE

तस्वीर का रु
तस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी है
खैरात जो देता है वही लूटता भी है
ईमान को अब लेके किधर जाइयेगा आप
बेकार है ये चीज कोई पूछता भी है
बाज़ार चले आये वफ़ा भी, ख़ुलूस भी
अब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी है
वैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैं
पर इनमें कोई तीर है जो फूल सा भी है
इस दिल ने भी फ़ितरत किसी बच्चे सी पाई है
पहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है

This is a great तस्वीर की शायरी. If you like तस्वीर पे शायरी then you will love this. Many people like it for तस्वीर शायरी हिंदी. Share it to spread the love.

SHARE