नमो नमो दुर्गे सुख करनी

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नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो अम्बे दुःख हरनी. निराकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूँ लोक फैली उजयारी. शशि ललाट मुख महाविशाला.

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