राजू खड़े हो और दीवार पर निबन्ध सुनाओ "मैंम दीवार न तीन तरह की होती है" "अच्छा

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राजू खड़े हो और दीवार पर निबन्ध सुनाओ "मैंम दीवार न तीन तरह की होती है" "अच्छा, कल तक दो तरह की थी । आज तीन तरह की हो गई !! " "जी , मैंम !! " "अच्छा , अब उन दीवारों के नाम तो बताओ जरा" "मैंम , एक होती है अच्छी दीवार , एक बुरी दीवार , . . . . . . . . और एक बाबा रामपाल के आश्रम की दीवार जो अभी भी अटूट है" कुल मिला के मुन्ना अब राइडर बन गया है

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