अर्झ कीया है

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अर्झ कीया है
> सर्दी ने अब पकड बनाई;
> अगल बगल से झ़कड रजाई;
> धुंध में सूरज नहीं है दिखने वाला;
# घडी की घंटी से उठ जा मेरे भाई

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