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"याद करलो उन्हे यारों आज,
"वतन पे जिसका हाथ था,
जिसके खून का एक-एक कतरा वतन के साथ था, "
फख्र है मुजे आजाद, बोझ का,
गुमान है मुजे गांघी, भगतसिंह का,
जूनून है मुजे आजा़दी का,
जूनून है मुजे आबादी का,
परवा नहीं है कोइ दूनिया की क्योंकि, सुकुन है मुजे वतन की बुलंदी का।