न मिलने का वादान मिलने का वादन मिलने का वादा, न आने की बातेंकहाँ तक सुनें दिल जलाने की बातेंहमेशा वही सर झुकाने की बातेंकभी तो करो सर उठाने की बातेंकोई इस ज़माने की कहता नहीं हैसुनाते हो अपने ज़माने की बातेंकहाँ तक सुने कोई इन रहबरों कीहथेली पे सरसों उगाने की बातेंतरस खायेंगी बिजलियाँ भी यक़ीननजो सुन लें कभी आशियाने की बातेंअजब-सी लगे हैं फ़क़ीरों के मुँह सेकिसी हूर की या ख़ज़ाने की बातेंकभी जो हुईं थीं हमारी-तुम्हारी वो बातें नहीं हैं बताने की बातें
तुम न आये एक दिनतुम न आये एक दिन..तुम न आये एक दिन का वादा कर दो दिन तलकहम पड़े तड़पा किये दो-दो पहर दो दिन तलकदर्द-ए-दिल अपना सुनाता हूँ कभी जो एक दिनरहता है उस नाज़नीं को दर्द-ए-सर दो दिन तलकदेखते हैं ख़्वाब में जिस दिन किस की चश्म-ए-मस्तरहते हैं हम दो जहाँ से बेख़बर दो दिन तलकगर यक़ीं हो ये हमें आयेगा तू दो दिन के बादतो जियें हम और इस उम्मीद पर दो दिन तलकक्या सबब क्या वास्ता क्या काम था बतलाइयेघर से जो निकले न अपने तुम "ज़फ़र" दो दिन तलक
सुना है वो जाते हुए कह गये केसुना है वो जाते हुए कह गये के;अब तो हम सिर्फ आपके ख़्वाबों में ही आएँगेकोई कह दे कि वो वादा कर लेहम जिदंगी भर के लिए सो जाएंगे
हो सके तो तुम अपना एक वादा निभाने आ जानाहो सके तो तुम अपना एक वादा निभाने आ जानामेरी प्यासी आँखों को अपना दीदार करवाने आ जानाबड़ी हसरत थी तुम्हारी बाँहों में बिातायें कुछ पलअगर यह साँस थम गयी तो एक बार मेरी लाश से लिपटने आ जाना
वादा कर लेते हैंवादा कर लेते हैं, निभाना भूल जाते हैंलगाकर आग बुझाना भूल जाते हैंये तो आदत हो गई है अब उनकी रोज़कि रुलाते हैं और मनाना भूल जाते हैं