कहाँ ले जाऊँ दिलकहाँ ले जाऊँ दिल..कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैयहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल हैइलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैंके हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल हैये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारामैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिलहै जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुंजलाकरअरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल हैहज़ारों दिल मसल कर पांओ से झुंजला के फ़रमायालो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है
रुस्वाइयाँ ग़ज़ब की हुईंरुस्वाइयाँ ग़ज़ब की हुईं..रुस्वाइयाँ ग़ज़ब की हुईं तेरी राह मेंहद है कि ख़ुद ज़लील हूँ अपनी निगाह मेंमैं भी कहूँगा देंगे जो आज़ा गवाहियाँया रब यह सब शरीक थे मेरे गुनाह मेंथी जुज़वे-नातवाँ किसी ज़र्रे में मिल गईहस्ती का क्या वजूद तेरी जलवागाह मेंऐ 'शाद' और कुछ न मिला जब बराये नज़्रशर्मिंदगी को लेके चले बारगाह में
तेरे दर से उठकरतेरे दर से उठकर..तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैंचलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैंअगर तू ख़फा हो तो परवा नहींतेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैंतब्बसुम ने इतना डसा है मुझेकली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैंसम्भाले तो हूँ खुदको, तुझ बिन मगर;जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैकहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैयहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल हैइलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैंके हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल हैये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारामैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिलहै जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुंजलाकरअरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल हैहज़ारों दिल मसल कर पांओ से झुंजला के फ़रमायालो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है
तुम्हारा हर मैसेज मेरे रोम रोम में गुदगुदी पैदा करता हैतुम्हारा हर मैसेज मेरे रोम रोम में गुदगुदी पैदा करता हैजब भी मैं पढता हूं, मेरा दिल जोर से धड़कता हैलेकिन क्या करें, कसूर तुम्हारा नहीं हैयह मोबाइल ही 'वाईबरेशन मोड' पर चलता है